आशिकी तो कई बार हुई है
कई काफिलों में ज़िन्दगी बेज़ार हुई है
मगर मोहब्बत सिर्फ आपसे की है हमने
सिर्फ आपके लिए अश्को की बहार हुई है
इल्तिजा है कभी खुदसे महरूम ना करना
ज़िन्दगी कामिल है मेरी आपसे
आपके बिना जैसे मेरी कायनात में क़यामत
मेरे दिन भी आपसे, मेरा जहान भी आपसे
इस हसीन रात फिर मोहब्बत लव्ज़ों में जुटी है
आज फिर आपसे गुफ्तगू करने की आरज़ू उठी है
रोक लो इस वक़्त को यही, कैद करलो ये लम्हे
आपके नूर की नज़ाकत पे हर पल हमारी जान लुटि है
शिददत से चाहा तो ज़िन्दगी के हर पल आपसे मुलाकात होगी मेरी रूहानियत आपके आगोश में आबाद होगी
आपकी खिदमत में तो हम फ़ना भी हो जाए
रहे बस आप मेरी इनायत और मैं आपकी जोगी
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